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कैसे ना करते

जाना तोह कहीं और था पर उनकी तरफ गीली जो ढलान थी हम भला कैसे न फिसलते अकेलेपन की चोट पर मुस्कराहट का मलहम उन्होंने ऐसे लगाया हम और घायल कैसे न होते हर ज़र्रा उनका सच की तस्वीर था वैसे कभी झूट बोल भी देते तोह यकीन कैसे ना करते यूँ तोह जानते हैं की खुदा नहीं मगर उन्हें पाने के लिए रोज़ इबादत कैसे ना करते कभी कुछ जो उन्होंने माँगा नहीं सारी क़ायनात तोहफा खरीदने को सर फरोश कैसे ना करते प्यास जो उन्होंने ऐसी दे दी थी उससे बुझाते बुझाते ज़माने को राख कैसे न करते आदमी खराब तोह हम भी नहीं उनके दर पर इक़रार जो किया था वोह दाखिल कैसे ना करते