७४९५ मील / 7495 miles


कल जब तुमने पुछा मुझसे 
की मैं कैसा हूँ 
मैंने कहा दिया 
की मैं ठीक हूँ 

जब तुमसे मैं कभी 
गलती से यही पूछ लूँ 
कह देना तुम भी बस इतना ही 
की तुम ठीक हो 

मत बढ़ाना गहराइयाँ मेरी ज़िन्दगी की 
मैं सतह पर ही ठीक हूँ 
मत देना पंख ऊंचाइयां छूने को 
मैं ज़मीन पर ही ठीक हूँ 

सतरंगी सपने जो ज़िन्दगी की तख्ती पर लिखे थे 
उन्हें मिटाकर उसी धूल से 
एक नया चाक बनाकर 
अपने बीच कुछ रेखाएं खींच लेते हैं 

क्योंकि तुम जहाँ हो, वहां रात है 
और जो तुम्हारे यहाँ गुज़र चुका 
मैं वही दिन हूँ 
इधर बस सुबह होने वाली है 

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