पतझड़
टहनी पर लहराते हुए तुम काफी रंगीन लग रहे हो कुछ हरा जीवन का कुछ काला है ईर्ष्या का कोनों पर कुछ भूरा बदलाव का और कोनों पर ही भूरा उदासी का हरा उस अतीत के लिए जो तुम्हारा था ईर्ष्या टहनियों पर तुमसे हरे पत्तों के लिए उदासी आने वाले विरह के लिए उदासी ज़मीन पर गिरे दोस्तों के लिए मगर सच बोलो, एक ही टहनी पर रहकर कुछ तोह ऊब गए होगे तुम और नहीं भी ऊबे हो कुछ नया करने में क्या हर्ज़ है इस हवा पर भरोसा रखना यह तुम्हे नए नज़ारे दिखाएगी कुछ परिंदों सा आसमान में उड़ाएगी कुछ हम इंसानों सा ज़मीन पर दौड़ाएगी जब तुम्हे कोई नज़ारा भा जाए हवा को वहीँ थमने को बोल देना किसी नये पेड़ से लिपटकर गाना फिर और भी रंगीन हो जाना